रविवार, 1 जनवरी 2023

नये साल में


आस से पूरे
जीवन से भरे
साँझ-सवेरे हों,
इस नए साल में 
कुछ पुराने भी
सपने पूरे हों।


किताब से जीवन के
धूल झाड़ 
पन्ने कुछ खोलो,
कहानी कौन सी
रह गई अधूरी
जरा टटोलो। 
किस  पन्ने पर
जाने कौन से
किस्से उकेरे हों…

खोल के 
दिल का पिटारा
उन्हें निकालो,
कुछ नाजुक से हैं
जरा ध्यान से
थामो सम्हालो।
क्या पता 
एहसासों के 
कैसे पल बटोरे हों.. 

देखो जरा
अपने भीतर 
झांको-निहारो,
कौन सी आस
दफन है सीने में
उसे फिर से उभारो।
नींव के नीचे
क्या पता शायद 
दबे कंगूरे हों…

जमाने के डर से 
अपना मन 
मार कर,
या किया नहीं कुछ
अपने ही आप से
हार कर। 
फिर से सजाओ
मन के अरमां
जो आधे-अधूरे हों,
इस नए साल में 
कुछ पुराने भी
सपने पूरे हों

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
नीदरलैंड्स, रविवार १ जनवरी २०२३

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