शुक्रवार, 6 जनवरी 2023

गजल - देखो २

समझते नहीं वो मेरा प्यार देखो
हैं रूठे हुए से जी सरकार देखो

बड़ी कातिलाना हैं उनकी अदा भी 
न हामी भरी और न इनकार देखो

शिकायत जरा सी जो हमने सुनाई
सुना हो गये हैं वो बीमार देखो  

बड़ी खलबली आज तारों में होगी
फलक चाँद, छज्जे मेरा यार देखो

सितारे लगा दूँ मैं उसके दुपट्टे
कहे यूं लड़कपन का है प्यार देखो

अचानक से नजरें मिलीं जो हमारी 
गुलाबी हुए उनके रूखसार देखो

अगर हाथ अपना मेरा हाथ में दो 
तो हम चल पढ़ें चाँद के पार देखो 


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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
अलमेर, नीदरलैंड्स, शुक्रवार ०६ जनवरी २०२३ 

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