शनिवार, 18 फ़रवरी 2023

जिन्दगी

 अभिमान और 

क्षोभ के दो ऊँचे 

पहाड़ों के बीच की

गहरी और अंधेरी 

खाई का नाम है जिन्दगी


हर्ष और विषाद,

राग और द्वेष

इन्हीं दो पहाड़ों की

कुछ चोटियाँ हैं


कभी जरा कुछ 

अच्छा हुआ नहीं कि

चढ़ जाता है 

अभिमान के शिखर पर


और भूल-चूक इतने 

कि उनके 

क्षोभ की ऊँचाई 

सूरज को भी

ढाँपने लगे 


कभी ऊर्जा से भरा

इस चोटी चढ़ता

तो कभी 

बदहवास हो कर

उस चोटी में जाता


इन दो पहाड़ों की

चोटियों पर

चढ़ने और फिसलने के 

निरन्तर खेल में

फँसा है आदमी


जो समझ जाते हैं

इस तिलिस्म को

उन्हें ही मिलता है

इस होड़ से 

निकलने का रास्ता


जो इन दो पहाड़ों की 

चोटियों से नहीं

उसी खाई की 

तलहटी से जाता है


और मिलता है

संतोष और विश्वास रूपी

प्रकाश के साथ

अंदर खोजने से 


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मनीष पाण्डेय ‘मनु

नीदरलैंडशनिवार 18 फरवरी 2023

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