सोमवार, 8 मार्च 2021

सूरज

सूरज
तुम तो
हज़ारों करोड़ों सालों से
रोज आते हो ना?

तुमने तो सब देखा है
अपनी आँखों से,
फिर क्यों भला
कभी कुछ नहीं कहते
कुछ नहीं करते?
क्यों अंदर-अंदर ही
जलते रहते हो?

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मनीष पाण्डेय “मनु”

लक्सम्बर्ग, सोमवार 08-मार्च-2021

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