श्री राम मन्दिर
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श्री राम हैं सर्वस्व में, सत्य शाश्वत सर्वदा
मन के मंदिर में विराजित राम की मूरत सदा
श्री राम मेरे नाथ हैं मैं दास हूँ श्रीराम का
श्री राम हैं सर्वस्व में, सत्य शाश्वत सर्वदा
आस सदियों से रही कि राम का मंदिर बने
भाग अपना है कि हम इस पल के साखी बन सके
आस्था का रूप मंदिर अब अवध में बन गया
श्री राम हैं सर्वस्व में…
जिस तरह श्रीराम बन से लौट आये थे कभी
ठीक वैसे आज उनके लौटने की है घड़ी
राह उनकी देखते हर राम प्रेमी है खड़ा
श्री राम हैं सर्वस्व में…
बाल रूपी राम अपने जन्मभूमि में प्रतिष्ठित
और पूरा जग रहेगा दीप-माला से सुज्जित
हर नयन उनकी छवि को धन्य होकर देखता
श्री राम हैं सर्वस्व में…
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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
सोमवार 22 जनवरी 2024, अलमेर नीदरलैंड
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