सोमवार, 29 जनवरी 2024

अहसास

तुम कहती हो
मैं बदल गया हूँ 
एहसासों में
पहले सी सरगर्मी 
नहीं लगती अब

मैं समझता हूँ
तुम्हारे सवालों को
उलझन भरी
खयालों को

नहीं!
ऐसा बिलकुल नहीं है
कि मेरा जी 
उकता गया है

बात बस इतनी है कि
ज़हन में
ज़िम्मेदारियों और
दुनियादारी की 
परत जम गयी है

ये गर्द तो 
आसानी से धुल जाएगी
अगर तुम 
अपने प्यार और 
विश्वास की 
ज़रा सी छींटे डाल दो

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
सोमवार २९ जनवरी २०२४, नीदरलैंड्स 

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