बुधवार, 24 जनवरी 2024

मेरे गीत में

मेरे गीत में 
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मन के हर हार में मन के हर जीत में
तुम बसे आज भी हो मेरे गीत में 

बात कैसे कहें ये बताया मुझे
भावना व्यक्त करना सिखाया मुझे
तुमने लिखना सिखाया बड़े प्यार से 
गलतियाँ भी बताई तो पुचकार के
तुमको करता नमन मैं उसी प्रीत में 
तुम बसे आज भी हो मेरे गीत में 

तुमसे सीखा वही अब मेरा ढंग है
मेरी रचना में जीवन का हर रंग है 
जो विषय चुन लिये उनके अनुबंध में
शब्द जो बुन लिए उनके हर छन्द में 
भाव में हो तुम्हीं, लय में संगीत में 
तुम बसे आज भी हो मेरे गीत में 

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मनीष पाण्डेय ‘मनु’
बुधवार 24 जनवरी 2024, अलमेर नीदरलैंड

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